उत्तर प्रदेश में महिला सम्पादक को CAA के संवैधानिक तरीके से विरोध की अनुमति मांगना पड़ा महंगा।
कहेंगी फ़ख़्र से सदियों तक नस्लें, हमने भी नक़ाब मे इन्क़लाब देखा है... शायद ये पंक्तियां आज हिन्दुस्तान के कोने कोने से होने वाले CAA और NRC, NPR के विरोध में महिलाओं के इस जज़्बे को देखकर सटीक बैठती नज़र आती हैं वैसे तो कहने को ये देश महिला प्रार्थमिक माना जाता है, और महिला सशक्तिकरण के दावे किए जाते ह…